श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य  »  अध्याय 2: विष्णुदूतों द्वारा अजामिल का उद्धार  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  6.2.22 
 
 
द्विज: पाशाद्विनिर्मुक्तो गतभी: प्रकृतिं गत: ।
ववन्दे शिरसा विष्णो: किङ्करान् दर्शनोत्सव: ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  यमराज के सेवकों के फंदे से छुड़ाया जाना पर ब्राह्मण अजामिल, अब डर से मुक्त होकर होश में आया और तुरंत ही उसने विष्णुदूतों के चरणकमलों पर शीश झुकाकर उन्हें प्रणाम किया। वह उनकी उपस्थिति से अत्यंत प्रसन्न था, क्योंकि उसने उन्हें यमराज के सेवकों के हाथों से अपने जीवन को बचाते हुए देखा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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