श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य  »  अध्याय 2: विष्णुदूतों द्वारा अजामिल का उद्धार  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  6.2.15 
 
 
पतित: स्खलितो भग्न: सन्दष्टस्तप्त आहत: ।
हरिरित्यवशेनाह पुमान्नार्हति यातना: ॥ १५ ॥
 
अनुवाद
 
  यदि कोई हरि के नाम का उच्चारण करते हुए मर जाता है, चाहे वह किसी दुर्घटना के कारण हो, जैसे छत से गिरना, फिसलकर हड्डी टूटना, सांप काटना, तेज़ बुखार और दर्द होना या हथियार से घायल होना, तो उसे नरक में जाने की सज़ा से मुक्त कर दिया जाता है, भले ही वह पापी क्यों न हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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