इस मृत्यु के समय अजामिल ने असहाय होकर तथा अत्यन्त जोर-जोर से भगवान् नारायण के पावन नाम का उच्चारण किया है। उसी उच्चारण मात्र ने सम्पूर्ण पापमय जीवन के फलों से उसे पहले ही मुक्त कर दिया है, इसलिए हे यमराज के सेवकों! तुम उसे नारकीय स्थिति में दण्ड दिलाने के लिए अपने मालिक के पास ले जाने का प्रयास मत करो।