श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य  »  अध्याय 2: विष्णुदूतों द्वारा अजामिल का उद्धार  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  6.2.13 
 
 
अथैनं मापनयत कृताशेषाघनिष्कृतम् ।
यदसौ भगवन्नाम म्रियमाण: समग्रहीत् ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  इस मृत्यु के समय अजामिल ने असहाय होकर तथा अत्यन्त जोर-जोर से भगवान् नारायण के पावन नाम का उच्चारण किया है। उसी उच्चारण मात्र ने सम्पूर्ण पापमय जीवन के फलों से उसे पहले ही मुक्त कर दिया है, इसलिए हे यमराज के सेवकों! तुम उसे नारकीय स्थिति में दण्ड दिलाने के लिए अपने मालिक के पास ले जाने का प्रयास मत करो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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