श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य  »  अध्याय 2: विष्णुदूतों द्वारा अजामिल का उद्धार  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  6.2.1 
 
 
श्रीबादरायणिरुवाच
एवं ते भगवद्दूता यमदूताभिभाषितम् ।
उपधार्याथ तान् राजन् प्र्रत्याहुर्नयकोविदा: ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  श्री शुकदेव गोस्वामी ने कहा : हे राजन! भगवान विष्णु के सेवक तर्क-वितर्क तथा नीति शास्त्र में बड़े ही निपुण होते हैं। यमदूतों के कथनों को सुनकर उन्होंने उत्तर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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