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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य
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अध्याय 19: पुंसवन व्रत का अनुष्ठान
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श्लोक 10
श्लोक
6.19.10
प्रणमेद्दण्डवद्भूमौ भक्तिप्रह्वेण चेतसा ।
दशवारं जपेन्मन्त्रं तत: स्तोत्रमुदीरयेत् ॥ १० ॥
अनुवाद
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भक्ति के साथ विनीत भाव से भगवान् को नमन करना चाहिए। दंडवत करते हुए दंड की तरह जमीन पर गिरकर उपर्युक्त मंत्र का दस बार उच्चारण करना चाहिए। फिर निम्नलिखित प्रार्थना करनी चाहिए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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