श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य  »  अध्याय 17: माता पार्वती द्वारा चित्रकेतु को शाप  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  6.17.12 
 
 
न वेद धर्मं किल पद्मयोनि-
र्न ब्रह्मपुत्रा भृगुनारदाद्या: ।
न वै कुमार: कपिलो मनुश्च
ये नो निषेधन्त्यतिवर्तिनं हरम् ॥ १२ ॥
 
अनुवाद
 
  हा अफसोस! ऐसा तो लगता है मानो कमल-पुष्प से जन्म लेनेवाले ब्रह्मा, भृगु और नारद जैसे महामुनि या सनत कुमार आदि चार कुमार कोई भी धर्म के नियमों से परिचित नहीं है। शायद इसीलिए उन्होंने कभी भी शिवजी को अनुचित ढंग से आचरण करने पर नहीं टोका।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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