हे ईश्वर! ये सारा संसार और इसकी उत्पत्ति, पालन एवं संहार ये सभी आपकी शान और सामर्थ्य हैं। क्योंकि ब्रह्मा और बाकी देवता आपके अंश के भी अंश मात्र हैं, तो सृष्टि रचने की उनकी आंशिक शक्ति उन्हें भगवान नहीं बना सकती। इसलिए खुद को ईश्वर मानने की उनकी सोच उनके अहंकार की निशानी है। यह उचित या वैध नहीं है।