श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य  »  अध्याय 14: राजा चित्रकेतु का शोक  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  6.14.43 
 
 
विद्वेषनष्टमतय: स्त्रियो दारुणचेतस: ।
गरं ददु: कुमाराय दुर्मर्षा नृपतिं प्रति ॥ ४३ ॥
 
अनुवाद
 
  द्वेष में वृद्धि होने से रानियों की समझ का लोप हो गया। अत्यधिक कठोर हृदय होने तथा राजा की उपेक्षा न सह सकने के कारण अंत में उन्होंने पुत्र को विष पिला दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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