वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य
»
अध्याय 13: ब्रह्महत्या से पीडि़त राजा इन्द्र
»
श्लोक 3
श्लोक
6.13.3
श्रीराजोवाच
इन्द्रस्यानिर्वृतेर्हेतुं श्रोतुमिच्छामि भो मुने ।
येनासन् सुखिनो देवा हरेर्दु:खं कुतोऽभवत् ॥ ३ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
महाराज परीक्षित ने शुकदेव गोस्वामी से पूछा- हे मुनिवर, इन्द्र महाराज अप्रसन्न क्यों थे? मैं उनके दुख का कारण जानना चाहता हूँ। जब उन्होंने वृत्रासुर का वध किया तब तो सभी देवता अत्यंत प्रसन्न थे, फिर स्वयं इन्द्र दुखी क्यों थे?
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.