श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य  »  अध्याय 13: ब्रह्महत्या से पीडि़त राजा इन्द्र  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  6.13.11 
 
 
तयेन्द्र: स्मासहत्तापं निर्वृतिर्नामुमाविशत् ।
ह्रीमन्तं वाच्यतां प्राप्तं सुखयन्त्यपि नो गुणा: ॥ ११ ॥
 
अनुवाद
 
  देवताओं के परामर्श पर इन्द्र ने वृत्रासुर का वध किया जिसके फलस्वरूप उस पापात्मक हत्या के कारण उसे दंड भोगना पड़ा। यद्यपि अन्य देवतागण इस परिणाम से खुश थे, किन्तु वृत्रासुर के वध से इन्द्र को ज़रा भी प्रसन्नता नहीं हुई। धैर्य और ऐश्वर्य जैसी इन्द्र की अन्य उत्तम गुणवत्ताएँ भी उसके दुःख में उसका साथ नहीं दे सकी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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