श्रीशुक उवाच
एवं सञ्चोदितो विप्रैर्मरुत्वानहनद्रिपुम् ।
ब्रह्महत्या हते तस्मिन्नाससाद वृषाकपिम् ॥ १० ॥
अनुवाद
श्री शुकदेव गोस्वामी ने कहा- ऋषियों के कथनों से प्रेरित होकर इन्द्र ने वृत्रासुर का वध कर दिया, और जब वह मारा गया तो निश्चय ही ब्रह्महत्या का पाप इन्द्र पर आ गया।