श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य  »  अध्याय 12: वृत्रासुर की यशस्वी मृत्यु  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  6.12.35 
 
 
वृत्रस्य देहान्निष्क्रान्तमात्मज्योतिररिन्दम ।
पश्यतां सर्वदेवानामलोकं समपद्यत ॥ ३५ ॥
 
अनुवाद
 
  हे शत्रुओं को पराजित करने वाले राजा परीक्षित! तब वृत्रासुर के शरीर से सजीव ज्योति निकल कर बाहर आई और भगवान् के परम धाम को लौट गई। सभी देवताओं को देखते हुए, वह दैवीय दुनिया में प्रवेश कर भगवान् संकर्षण का संगी बन गया।
 
 
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध छह के अंतर्गत बारहवाँ अध्याय समाप्त होता है ।
 
 
 
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