हे शत्रुओं को पराजित करने वाले राजा परीक्षित! तब वृत्रासुर के शरीर से सजीव ज्योति निकल कर बाहर आई और भगवान् के परम धाम को लौट गई। सभी देवताओं को देखते हुए, वह दैवीय दुनिया में प्रवेश कर भगवान् संकर्षण का संगी बन गया।
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध छह के अंतर्गत बारहवाँ अध्याय समाप्त होता है ।