श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य  »  अध्याय 10: देवताओं तथा वृत्रासुर के मध्य युद्ध  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  6.10.26 
 
 
अथ क्षीणास्त्रशस्त्रौघा गिरिश‍ृङ्गद्रुमोपलै: ।
अभ्यवर्षन् सुरबलं चिच्छिदुस्तांश्च पूर्ववत् ॥ २६ ॥
 
अनुवाद
 
  जब असुरों के हथियार और मंत्र कम होने लगे, तो उन्होंने देवताओं के सैनिकों पर पर्वतों की चोटियाँ, पेड़ और पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। लेकिन देवता इतने ताकतवर और कुशल थे कि उन्होंने इन सभी हथियारों को पहले की तरह ही आकाश में तोड़कर बेअसर कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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