श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य  »  अध्याय 10: देवताओं तथा वृत्रासुर के मध्य युद्ध  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  6.10.24 
 
 
न तेऽद‍ृश्यन्त सञ्छन्ना: शरजालै: समन्तत: ।
पुङ्खानुपुङ्खपतितैर्ज्योतींषीव नभोघनै: ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  जैसे ही घने बादल छा गए, आकाश में तारे नजर नहीं आते हैं, उसी तरह बाणों की बौछार में छिप गए देवता लोग अब दिखाई नहीं दे रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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