श्रीबादरायणिरुवाच
एवं कृतव्यवसितो दध्यङ्ङाथर्वणस्तनुम् ।
परे भगवति ब्रह्मण्यात्मानं सन्नयञ्जहौ ॥ ११ ॥
अनुवाद
श्रीशुकदेव गोस्वामी ने कहा - इस प्रकार धर्वा के पुत्र दधीचि मुनि ने देवताओं के लिए अपने शरीर का त्याग करने का निश्चय किया। उन्होंने अपने आप को परम पुरुषोत्तम भगवान् के चरणों में अर्पित कर दिया और इस प्रकार पाँच तत्वों से बना अपना स्थूल शरीर त्याग दिया।