महाराज परीक्षित बोले कि मनुष्य को यह अवश्य समझ लेना चाहिए कि पापकर्म उसके लिए कितना नुकसानदायक है, क्योंकि वह स्वयं देखता है कि अपराधी को सरकार द्वारा दंडित किया जाता है और उसे समाज में तिरस्कृत किया जाता है। साथ ही, वह शास्त्रों और ज्ञानी पंडितों से भी सुनता रहता है कि पापकर्म करने पर मनुष्य को अगले जन्म में नरक में डाल दिया जाता है। फिर भी, इस सब ज्ञान के बावजूद, प्रायश्चित्त करने के बाद भी मनुष्य बार-बार पाप करने को मजबूर हो जाता है। तो ऐसे में प्रायश्चित्त का क्या महत्व है?