प्रियव्रतोत्तानपदोर्वंशस्तच्चरितानि च ।
द्वीपवर्षसमुद्राद्रिनद्युद्यानवनस्पतीन् ॥ ४ ॥
धरामण्डलसंस्थानं भागलक्षणमानत: ।
ज्योतिषां विवराणां च यथेदमसृजद्विभु: ॥ ५ ॥
अनुवाद
हे प्रभु! आपने राजा प्रियव्रत तथा राजा उत्तानपाद के वंशों और गुणों का वर्णन किया है। पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान ने विभिन्न ब्रह्मांडों, लोकों, ग्रहों और नक्षत्रों के साथ भौतिक जगत का निर्माण किया है जिसमें अलग-अलग भूमि, समुद्र, महासागर, पर्वत, नदियाँ, उद्यान और पेड़ हैं। ये सभी अलग-अलग विशेषताओं वाले हैं। ये इस धरालोक, आकाश के प्रकाशपिंडों और अधोलोकों में विभाजित हैं। आपने इन लोकों और वहाँ रहने वाले जीवों का बहुत ही स्पष्ट वर्णन किया है।