श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य  »  अध्याय 1: अजामिल के जीवन का इतिहास  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  6.1.27 
 
 
स एवं वर्तमानोऽज्ञो मृत्युकाल उपस्थिते ।
मतिं चकार तनये बाले नारायणाह्वये ॥ २७ ॥
 
अनुवाद
 
  जब मूर्ख अजामिल के प्राण निकलने का समय आ गया तो उसके मन में सिर्फ और सिर्फ अपने पुत्र नारायण के प्रति ही विचार उमड़ने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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