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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य
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अध्याय 1: अजामिल के जीवन का इतिहास
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श्लोक 23
श्लोक
6.1.23
एवं निवसतस्तस्य लालयानस्य तत्सुतान् ।
कालोऽत्यगान्महान् राजन्नष्टाशीत्यायुष: समा: ॥ २३ ॥
अनुवाद
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हे राजन! अपने अनेक पुत्रों वाले परिवार के पालन-पोषण की खातिर घृणित और पापपूर्ण कृत्यों में डूबे रहते हुए अपने जीवन के अट्ठासी वर्ष बिता दिए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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