श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य  »  अध्याय 1: अजामिल के जीवन का इतिहास  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  6.1.22 
 
 
बन्द्यक्षै: कैतवैश्चौर्यैर्गर्हितां वृत्तिमास्थित: ।
बिभ्रत्कुटुम्बमशुचिर्यातयामास देहिन: ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  यह गिर चुका ब्राह्मण अजामिल जुए में धोखा देकर या सीधे उन्हें लूटकर दूसरों को परेशान करता था। इस तरह से वह अपना गुजारा चलाता था और अपनी पत्नी और बच्चों का भरण-पोषण करता था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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