नदी के किनारे बैठे महान् राजा भरत ने एक छोटे से हिरण के बच्चे को नदी में बहता हुआ देखा, जो अपनी माँ से बिछड़ गया था। यह देखकर उनके हृदय में करुणा का भाव जाग उठा। एक सच्चे मित्र की तरह, उन्होंने उस नन्हे हिरण के बच्चे को लहरों से बाहर निकाला, और उसे माँ-विहीन जानकर अपने आश्रम में ले आए।