अहो नु वंशो यशसावदात:
प्रैयव्रतो यत्र पुमान् पुराण: ।
कृतावतार: पुरुष: स आद्य-
श्चचार धर्मं यदकर्महेतुम् ॥ १४ ॥
अनुवाद
"ओह! मैं प्रियव्रत के उस वंश के बारे में क्या कह सकता हूं जो इतना शुद्ध और प्रसिद्ध है। इसी वंश में भगवान विष्णु ने अवतार लिया और धार्मिक सिद्धांतों का पालन किया, जो लोगों को उनके कर्मों के परिणामों से मुक्त कर सकते हैं।"