श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 5: सृष्टि की प्रेरणा  »  अध्याय 6: भगवान् ऋषभदेव के कार्यकलाप  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  5.6.11 
 
 
ते च ह्यर्वाक्तनया निजलोकयात्रयान्धपरम्परयाऽऽश्वस्तास्तमस्यन्धे स्वयमेव प्रपतिष्यन्ति ॥ ११ ॥
 
अनुवाद
 
  शिक्षा के अभाव के कारण, निचली जाति के लोग वैदिक सिद्धांतों से हटकर एक धार्मिक प्रथा का निर्माण करते हैं। अपने मनगढ़ंत विचारों के कारण वे स्वयं ही गहन अंधकार में गिर जाते हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.