हे भगवान, आप अनेक अद्भुत कार्य कर सकते हैं। इस यज्ञ का उद्देश्य केवल पुत्र प्राप्ति करना था, इसलिए हमारी बुद्धि प्रखर नहीं है। हमें जीवन का लक्ष्य निर्धारित करने का कोई अनुभव नहीं है। निश्चित ही, भौतिक लक्ष्य की प्राप्ति हेतु किये गये इस तुच्छ यज्ञ में आपको आमंत्रित करके, हमने आपके पवित्र चरणों में महान पाप किया है। अत: हे सर्वेश्वर, अपनी असीम कृपा और सम दृष्टि के कारण हमें क्षमा करें।