यदि भौतिक जीवन से मुक्ति के इच्छुक लोग गुरु परंपरा से मिले गुरु के मुख से अनंतदेव की महिमा सुनते हैं और सदाकाल संकर्षण का ध्यान करते हैं तो भगवान उनके हृदय में प्रवेश कर प्रकृति के तीनों गुणों के सारे कलुषों को दूर कर देते हैं और हृदय की उस कठोर ग्रंथि को काट देते हैं जो सकाम कर्मों द्वारा प्रकृति पर प्रभुत्व पाने की अभिलाषा के कारण अनंत काल से मजबूती के साथ बंधी हुई है। भगवान ब्रह्मा के पुत्र नारद मुनि अपने पिता की सभा में सदैव अनंतदेव के यश का गान करते हैं। वहीं पर वे अपने द्वारा रचे गए शुभ श्लोकों का गान तंबूरे के साथ करते हैं।