हे राजन्, गुरुदेव ने मुझे जो बताया था उसी प्रकार के सकाम कर्मों और कामनाओं के अनुसार बद्धजीवों की सृष्टि मैंने आपसे की है। भौतिक सुखों के लिए लालायित बद्धजीव विभिन्न लोकों में अनेक स्थितियाँ प्राप्त करते हैं और इस तरह भौतिक सृष्टि के चक्र में बँधे रहते हैं।