श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 5: सृष्टि की प्रेरणा  »  अध्याय 24: नीचे के स्वर्गीय लोकों का वर्णन  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  5.24.22 
 
 
न वै भगवान्नूनममुष्यानुजग्राह यदुत पुनरात्मानुस्मृतिमोषणं मायामयभोगैश्वर्यमेवातनुतेति ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  ईश्वर ने बलि महाराज को भौतिक सुख और ऐश्वर्य देकर अपनी कृपा नहीं दिखाई, क्योंकि इनसे भगवान की प्रेमभक्ति भूल जाती है। भौतिक ऐश्वर्य का नतीजा यह होता है कि फिर भगवान में मन नहीं लगता।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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