श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 5: सृष्टि की प्रेरणा  »  अध्याय 24: नीचे के स्वर्गीय लोकों का वर्णन  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  5.24.18 
 
 
ततोऽधस्तात्सुतले उदारश्रवा: पुण्यश्लोको विरोचनात्मजो बलिर्भगवता महेन्द्रस्य प्रियं चिकीर्षमाणेनादितेर्लब्धकायो भूत्वा वटुवामनरूपेण पराक्षिप्तलोकत्रयो भगवदनुकम्पयैव पुन: प्रवेशित इन्द्रादिष्वविद्यमानया सुसमृद्धया श्रियाभिजुष्ट: स्वधर्मेणाराधयंस्तमेव भगवन्तमाराधनीयमपगतसाध्वस आस्तेऽधुनापि ॥ १८ ॥
 
अनुवाद
 
  वितल के नीचे सुतल लोक है, जहाँ महाराज विरोचन के पुत्र बलि महाराज निवास करते हैं, जो कि बहुत ही पवित्र राजा थे और वहाँ आज भी रहते हैं। स्वर्ग के राजा इंद्र के कल्याण के लिए भगवान विष्णु ने अदिति के पुत्र वामन ब्रह्मचारी का रूप धारण किया और महाराज बलि से केवल तीन पग धरती माँग कर उनसे छल से तीनों लोक प्राप्त कर लिये। सब कुछ ले लेने पर बलि से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें उनका राज्य वापस कर दिया और इंद्र से भी अधिक सम्पन्न बना दिया। आज भी सुतललोक में श्रीभगवान की आराधना करते हुए बलि महाराज भक्ति करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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