श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 5: सृष्टि की प्रेरणा  »  अध्याय 24: नीचे के स्वर्गीय लोकों का वर्णन  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  5.24.12 
 
 
यत्र हि महाहिप्रवरशिरोमणय: सर्वं तम: प्रबाधन्ते ॥ १२ ॥
 
अनुवाद
 
  वहाँ कई विशाल साँप रहते हैं जिनके फनों पर मणियाँ जड़ी हैं और उन मणियों की चमक हर दिशा में अंधकार को दूर कर देती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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