श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 5: सृष्टि की प्रेरणा  »  अध्याय 24: नीचे के स्वर्गीय लोकों का वर्णन  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  5.24.11 
 
 
यत्र ह वाव न भयमहोरात्रादिभि: कालविभागैरुपलक्ष्यते ॥ ११ ॥
 
अनुवाद
 
  चूँकि उन पाताल ग्रहों में सूरज की रोशनी नहीं पहुँचती, अतः समय दिन और रात में विभाजित नहीं होता, जिसके कारण समय से उत्पन्न भय नहीं रहता।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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