श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 5: सृष्टि की प्रेरणा  »  अध्याय 21: सूर्य की गतियों का वर्णन  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  5.21.4 
 
 
यदा मेषतुलयोर्वर्तते तदाहोरात्राणि समानानि भवन्ति यदा वृषभादिषु पञ्चसु च राशिषु चरति तदाहान्येव वर्धन्ते ह्रसति च मासि मास्येकैका घटिका रात्रिषु ॥ ४ ॥
 
अनुवाद
 
  जब सूर्य मेष या तुला राशि पर से होकर गुजरता है, तब दिन और रात की अवधि एक समान हो जाती है। जब सूर्य वृषभ आदि पाँच राशियों से भ्रमण करता है, तब दिन बढ़ता जाता है (कर्क तक) और उसके बाद हर महीने आधा घंटा घटते हुए दिन और रात पुनः समान हो जाते हैं (तुला राशि में)।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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