एवं ततो वारुणीं सौम्यामैन्द्रीं च पुनस्तथान्ये च ग्रहा: सोमादयो नक्षत्रै: सह ज्योतिश्चक्रे समभ्युद्यन्ति सह वा निम्लोचन्ति ॥ ११ ॥
अनुवाद
यमराज के निवास से सूर्य वरुण की पुरी निम्लोचनी जाता है और वहाँ से चंद्रमा के निवास विभावरी होते हुए फिर इन्द्रपुरी पहुंचता है। इसी तरह चंद्रमा समेत अन्य सितारे और ग्रह राशि चक्र में उदित और अस्त होते रहते हैं।