श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 5: सृष्टि की प्रेरणा  »  अध्याय 21: सूर्य की गतियों का वर्णन  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  5.21.10 
 
 
यदा चैन्द्य्रा: पुर्या: प्रचलते पञ्चदशघटिकाभिर्याम्यां सपादकोटिद्वयं योजनानां सार्धद्वादशलक्षाणि साधिकानि चोपयाति ॥ १० ॥
 
अनुवाद
 
  जब सूर्य इन्द्र की नगरी देवधानी से यमराज की नगरी संयमनी तक पंद्रह घड़ियों (छह घंटे) में कुल मिलाकर 2,37,75,000 योजन (19,02,00,000) का सफर तय करता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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