श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 5: सृष्टि की प्रेरणा  »  अध्याय 21: सूर्य की गतियों का वर्णन  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  5.21.1 
 
 
श्रीशुक उवाच
एतावानेव भूवलयस्य सन्निवेश: प्रमाणलक्षणतो व्याख्यात: ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  श्री शुकदेव गोस्वामी ने कहा - हे राजा! मैंने महान विद्वानों के अनुमानों के अनुसार ब्रह्मांड के व्यास (पचास करोड़ योजन या 4 अरब मील) और इसकी सामान्य विशेषताओं का वर्णन किया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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