श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 5: सृष्टि की प्रेरणा  »  अध्याय 20: ब्रह्माण्ड रचना का विश्लेषण  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  5.20.9 
 
 
तद्‌द्वीपाधिपति: प्रियव्रतात्मजो यज्ञबाहु: स्वसुतेभ्य: सप्तभ्यस्तन्नामानि सप्तवर्षाणि व्यभजत्सुरोचनं सौमनस्यं रमणकं देववर्षं पारिभद्रमाप्यायनमविज्ञातमिति ॥ ९ ॥
 
अनुवाद
 
  शाल्मलीद्वीप के स्वामी महाराज प्रियव्रत के पुत्र यज्ञबाहु ने द्वीप को सात भागों में विभाजित कर दिया था और अपने सात पुत्रों को दे दिया था। इन विभागों के नाम उनके पुत्रों के नाम पर ही रखे गए थे। ये नाम हैं - सुरोचन, सौमनस्य, रमणक, देववर्ष, पारिभद्र, आप्यायन और अविज्ञात।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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