श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 5: सृष्टि की प्रेरणा  »  अध्याय 20: ब्रह्माण्ड रचना का विश्लेषण  »  श्लोक 41
 
 
श्लोक  5.20.41 
 
 
आकल्पमेवं वेषं गत एष भगवानात्मयोगमायया विरचितविविधलोकयात्रागोपीयायेत्यर्थ: ॥ ४१ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान नारायण और विष्णु जैसे परम पुरुषोत्तम भगवान के विविध रूप अलग-अलग हथियारों से सजे हुए हैं। भगवान इन रूपों को अपनी निजी शक्ति योगमाया से उत्पन्न हुए सभी लोकों का पालन करने के लिए प्रकट करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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