श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 5: सृष्टि की प्रेरणा  »  अध्याय 20: ब्रह्माण्ड रचना का विश्लेषण  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  5.20.21 
 
 
आमो मधुरुहो मेघपृष्ठ: सुधामा भ्राजिष्ठो लोहितार्णो वनस्पतिरिति घृतपृष्ठसुतास्तेषां वर्षगिरय: सप्त सप्तैव नद्यश्चाभिख्याता: शुक्लो वर्धमानो भोजन उपबर्हिणो नन्दो नन्दन: सर्वतोभद्र इति अभया अमृतौघा आर्यका तीर्थवती रूपवती पवित्रवती शुक्लेति ॥ २१ ॥
 
अनुवाद
 
  महाराज घृतपृष्ठ के पुत्रों के नाम आम, मधुरुह, मेघपृष्ठ, सुधामा, भ्राजिष्ठ, लोहितार्ण और वनस्पति थे। उनके द्वीप में सात पर्वत थे, जो सात देशों की सीमाओं को सूचित करने वाले थे और सात नदियाँ भी थीं। पर्वतों के नाम शुक्ल, वर्धमान, भोजन, उपबर्हिण, नंद, नंदन और सर्वतोभद्र हैं। नदियों के नाम अभया, अमृतौघा, आर्यका, तीर्थवती, रूपवती, पवित्रवती और शुक्ला हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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