इस संपूर्ण जगत में मंगल हो और सभी ईर्ष्यालु लोग शांत हो जाएं। सभी जीव भक्ति-योग का अभ्यास करके शांत हो जाएं, क्योंकि भक्ति करने से वे एक-दूसरे के कल्याण के बारे में सोच सकेंगे। इसलिए हम सब भगवान श्री कृष्ण की परम भक्ति में तन्मय होकर उनके विचारों में ही लीन रहें।