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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 5: सृष्टि की प्रेरणा
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अध्याय 18: जम्बूद्वीप के निवासियों द्वारा भगवान् की स्तुति
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श्लोक 2
श्लोक
5.18.2
भद्रश्रवस ऊचु:
ॐ नमो भगवते धर्मायात्मविशोधनाय नम इति ॥ २ ॥
अनुवाद
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राजा भद्रश्रवा और उनके अंतरंग सहयोगी इस प्रकार नमस्कार करते हैं- इस भौतिक जगत में कर्मबद्ध आत्मा के चित्त को शुद्ध करने वाले, सभी धार्मिक नियमों के भंडार भगवान् को हमारा नमन। हम बार-बार उन्हें विनम्रतापूर्वक नमन करते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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