तेषां विशीर्यमाणानामतिमधुरसुरभिसुगन्धि बहुलारुणरसोदेनारुणोदा नाम नदी मन्दरगिरिशिखरान्निपतन्ती पूर्वेणेलावृतमुपप्लावयति ॥ १७ ॥
अनुवाद
जब इतनी ऊंचाई से ठोस आम्रफल गिरते हैं, तो वे फट जाते हैं और उनका मीठा, सुगंधित रस बाहर निकल आता है। यह रस अन्य महक के साथ मिलकर और भी अधिक सुगंधित हो जाता है। यही रस पर्वत से झरनों के रूप में बहता है और अरुणोदा नामक नदी का रूप ले लेता है, जो इलावृत के पूर्वी हिस्से से बहती है।