अथ कदाचिन्निवासपानीयद्रविणाद्यनेकात्मोपजीवनाभिनिवेश एतस्यां संसाराटव्यामितस्तत: परिधावति ॥ ८ ॥
अनुवाद
कभी-कभी जीव रहने के लिए घर ढूंढना और अपने शरीर की देखभाल के लिए पानी तथा धन जुटाने के काम में लगा रहता है। इन विभिन्न आवश्यकताओं को जुटाने में संलग्न रहने से वह अन्य सब कुछ भूल जाता है और भौतिक अस्तित्त्व के जंगल में लगातार भागदौड़ करता रहता है।