यहाँ जिन शुद्ध भक्तों का उल्लेख किया गया है, वे कौन हैं? शुद्ध भक्तों की सभा में, राजनीति और समाजशास्त्र जैसे सांसारिक विषयों पर चर्चा का कोई सवाल ही नहीं उठता। उनकी सभा में, केवल परम पुरुषोत्तम भगवान् की लीलाओं, उनके स्वरूप और उनके गुणों की चर्चा होती है। उनकी प्रशंसा की जाती है और उनकी पूजा पूरी श्रद्धा से की जाती है। ऐसे शुद्ध भक्तों की संगति में, ऐसे विषयों को लगातार श्रद्धापूर्वक सुनने से, वो व्यक्ति भी जो परम सत्य में मिल जाना चाहता है, वो भी अपने इस विचार को त्याग देता है और धीरे-धीरे भगवान वासुदेव की सेवा से जुड़ जाता है।