माया से रहित जीव के मन में बहुत से विचार और गतिविधियाँ होती हैं जो सदियों से चली आ रही हैं। वे कभी जाग्रत अवस्था में तो कभी स्वप्नावस्था में प्रकट होती हैं, किंतु गहरी नींद या समाधि में वे लुप्त हो जाती हैं। जो व्यक्ति इसी जीवन में मुक्त हो चुका है, (जीवनमुक्त) इन सभी चीज़ों को स्पष्ट रूप से देख सकता है।