श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 5: सृष्टि की प्रेरणा  »  अध्याय 1: महाराज प्रियव्रत का चरित्र  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  5.1.9 
 
 
तत्र ह वा एनं देवर्षिर्हंसयानेन पितरं भगवन्तं हिरण्यगर्भमुपलभमान: सहसैवोत्थायार्हणेन सह पितापुत्राभ्यामवहिताञ्जलिरुपतस्थे ॥ ९ ॥
 
अनुवाद
 
  नारद मुनि के पिता भगवान् ब्रह्मा इस ब्रह्माण्ड के श्रेष्ठ पुरुष हैं। जैसे ही नारद ने विशाल हंस को देखा, उन्हें तुरन्त समझ आ गया कि भगवान ब्रह्मा आ गये हैं, अतः वे बिना देरी किए स्वयंभुव मनु और अपने द्वारा उपदेश दिए जा रहे उनके पुत्र प्रियव्रत के साथ खड़े हो गये। तत्पश्चात हाथ जोड़कर उन्होंने भगवान की पूजा श्रद्धापूर्वक शुरू की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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