ये वा उ ह तद्रथचरणनेमिकृतपरिखातास्ते सप्त सिन्धव आसन् यत एव कृता: सप्त भुवो द्वीपा: ॥ ३१ ॥
अनुवाद
जब प्रियव्रत ने अपने रथ को सूर्य के पीछे दौड़ाया, तो उनके रथ के पहियों के निशानों ने जो छाप छोड़ी वे ही बाद में सात समुद्र बन गए और भूमण्डल सात द्वीपों में बँट गया।