वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
»
अध्याय 7: दक्ष द्वारा यज्ञ सम्पन्न करना
»
श्लोक 8
श्लोक
4.7.8
विधाय कार्त्स्न्येन च तद्यदाह भगवान् भव: ।
सन्दधु: कस्य कायेन सवनीयपशो: शिर: ॥ ८ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
शिवजी के आदेशानुसार जब सारी विधियाँ पूर्ण हो गईं तब बलि के लिए लाये हुए पशु के सिर को दक्ष के शरीर से जोड़ दिया गया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.