बाहुभ्यामश्विनो: पूष्णो हस्ताभ्यां कृतबाहव: ।
भवन्त्वध्वर्यवश्चान्ये बस्तश्मश्रुर्भृगुर्भवेत् ॥ ५ ॥
अनुवाद
जिनके हाथ कट गये हैं, उन्हें अश्विनी कुमार की भुजाओं से काम करना होगा और जिनके हाथ कट गये हैं, उन्हें पूषा के हाथों से काम करना होगा। पुरोहितों को भी उसी तरह काम करना होगा। भृगु को बकरी के सिर से दाढ़ी प्राप्त होगी।