श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 7: दक्ष द्वारा यज्ञ सम्पन्न करना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  4.7.5 
 
 
बाहुभ्यामश्विनो: पूष्णो हस्ताभ्यां कृतबाहव: ।
भवन्‍त्वध्वर्यवश्चान्ये बस्तश्मश्रुर्भृगुर्भवेत् ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  जिनके हाथ कट गये हैं, उन्हें अश्विनी कुमार की भुजाओं से काम करना होगा और जिनके हाथ कट गये हैं, उन्हें पूषा के हाथों से काम करना होगा। पुरोहितों को भी उसी तरह काम करना होगा। भृगु को बकरी के सिर से दाढ़ी प्राप्त होगी।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.