श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 7: दक्ष द्वारा यज्ञ सम्पन्न करना  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  4.7.20 
 
 
श्यामो हिरण्यरशनोऽर्ककिरीटजुष्टो
नीलालकभ्रमरमण्डितकुण्डलास्य: ।
शङ्खाब्जचक्रशरचापगदासिचर्म-
व्यग्रैर्हिरण्मयभुजैरिव कर्णिकार: ॥ २० ॥
 
अनुवाद
 
  उनका रंग सांवला था, वस्त्र सोने की तरह पीले थे, और उनका मुकुट सूरज की तरह चमक रहा था। उनके बाल नीले थे, काली मधुमक्खियों के रंग के थे, और उनका चेहरा झुमकों से सजा था। उनके आठ हाथों में शंख, चक्र, गदा, कमल, बाण, धनुष, ढाल और तलवार थी, और वे कंगन और चूड़ियों जैसे सोने के आभूषणों से सजाए गए थे। उनका सम्पूर्ण शरीर विभिन्न प्रकार के फूलों से सुशोभित एक खिले हुए पेड़ जैसा प्रतीत हो रहा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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