मैत्रेय उवाच
क्षमाप्यैवं स मीढ्वांसं ब्रह्मणा चानुमन्त्रित: ।
कर्म सन्तानयामास सोपाध्यायर्त्विगादिभि: ॥ १६ ॥
अनुवाद
मैत्रेय ऋषि ने कहा: शिवजी द्वारा क्षमा किए जाने के बाद, राजा दक्ष ने ब्रह्मा जी की अनुमति से विद्वान साधुओं, पुरोहितों एवं अन्य लोगों के साथ पुनः यज्ञ आरंभ कर दिया।