श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 6: ब्रह्मा द्वारा शिवजी को मनाना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  4.6.9 
 
 
जन्मौषधितपोमन्त्रयोगसिद्धैर्नरेतरै: ।
जुष्टं किन्नरगन्धर्वैरप्सरोभिर्वृतं सदा ॥ ९ ॥
 
अनुवाद
 
  कैलास नामक धाम अनेक जड़ी-बूटियों और वनस्पतियों से भरा हुआ है और वेद मंत्रों व योग अभ्यास से पवित्र हो चुका है। अतः यहाँ के निवासी जन्म से ही देवता हैं और सभी योगशक्तियों से युक्त हैं। इनके अतिरिक्त यहाँ पर अन्य मनुष्य भी हैं, जिन्हें किन्नर और गंधर्व कहा जाता है और वे अपनी-अपनी सुंदर पत्नियों के साथ रहते हैं, जिन्हें अप्सराएँ कहा जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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